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दुर्गा बाड़ी में दुर्गा पूजा करती महिला
– फोटो : संवाद
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अलीगढ़ महानगर के मैरिस रोड स्थित दुर्गाबाड़ी में शारदीय नवरात्र के उपलक्ष्य में आयोजित पांच दिवसीय सम्मीलनी में 24 अक्तूबर को महादशमी पूजा का आयोजन हुआ। मां अंबे की महाआरती में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। माता रानी के जयकारों से पंडाल गूंज उठा और पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
दुर्गाबाड़ी प्रांगण में महादशमी की पूजा समाप्त हुई। देवी मां को दर्पण विसर्जन देकर सुहागिनों ने मंगल कार्यक्रम करके माता रानी को वापस अपने ससुराल महादेव जी के पास जाने की विदाई दी। दर्पण विसर्जन के साथ दुर्गा पूजन महोत्सव का समापन हुआ। दर्पण विसर्जन के पीछे मान्यता है कि देवी मां दुर्गा अपने ससुराल चली जाती हैं, फिर एक साल बाद दोबारा मायके लौटकर आती हैं।
इसके साथ ही सुहागिन महिलाओं ने मां का वरन किया और सिंदूर खेलने की परंपरा का निर्वहन किया। महिलाओं ने मां को मिठाई खिलाई एवं पान खिलाकर उनकी शुभ यात्रा की कामना की। अपने परिवार के सुख, समृद्धि, शांति और सौभाग्यता की प्रार्थना की। विसर्जन में मां के जयकारे लगे।
शाम को आरती के बाद मां की प्रतिमा को हरदुआगंज की नहर में विसर्जन हुआ। इससे पूर्व दुर्गाबाड़ी से शोभायात्रा निकाली गई। भक्तगणों ने जमकर नृत्य किया। इसके बाद शांति जल प्रदान किया गया। विजयदशमी पर प्रसाद की व्यवस्था की गई। आयोजन में अशोक चक्रवर्ती, संजय मुखर्जी, अर्धेंदु मोइत्रा, चंद्रशेखर चटर्जी, जगदीश भट्टाचार्य, छोटू मंडल, तुष्टि घोष, बिना दास, कोबिता राय, मीडिया प्रभारी बिपाशा मुखर्जी, अध्यक्ष चंदन चटर्जी, शुभा बनर्जी, बनिता दास गुप्ता, डॉ. प्रभात दास गुप्ता, तापस बनर्जी, शुभ्रा अधिकारी आदि का सहयोग रहा। उधर, शहर भर में माता के भक्तों ने नौ दिवसीय नवरात्र के समापन पर माता रानी को भावभीनी विदाई दी गई। उन्होंने गंगा तटों पर जाकर मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया।
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