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– फोटो : istock
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एटा के अधिवक्ता को मेडिकल क्लेम न देने पर बीमा कंपनी को 2014 से सालाना 7 प्रतिशत ब्याज की दर के साथ 3.02 लाख रुपये मुआवजा राशि देनी पड़ेगी। इसके साथ मानसिक परेशानी को लेकर तीन हजार व मुकदमा खर्च दो हजार रुपये भी बीमा कंपनी को अदा करने होंगे।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का यह फैसला सिविल लाइंस निवासी अधिवक्ता जॉय कुलश्रेष्ठ के मामले में आया। जिसमें आयोग ने प्रबंधक, एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ आदेश दिया। अधिवक्ता एचडीएफसी बैंक के बचत खाता धारक हैं और उन्होंने अपनी सामान्य बैंकिंग सेवाओं के लिए एक लाख की आर्थिक सीमा का एक डेबिट कार्ड जारी कराया। विगत जनवरी 2013 से एचडीएफसी बैंक के प्रबंधक व उसकी बीमा कंपनी एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंधक बीमा कंपनी की मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस पाॅलिसी लेने पर जोर देते रहे।
इसके बाद बीमा कंपनी ने 21 जनवरी 2013 से 28 जनवरी 2014 तक की अवधि की पाॅलिसी जारी कर दी। जिसमें अधिवक्ता व उनकी पत्नी का मेडिकल कवर तीन लाख रुपये घोषित किया। इसके साथ
अस्पताल में अधिकतम तीस दिन की भर्ती की दशा में प्रतिदिन एक हजार रुपये देने का भी प्रस्ताव दिया गया। 23 अक्टूबर 2013 को प्रार्थी के बीमार होने और बीमा कंपनी से सूचीबद्ध लोटस हार्ट केयर सेंटर आगरा में मेडिकल कार्ड और कैशलेस इलाज की सुविधा के तहत पेश किया तो बीमा कंपनी ने कैशलेस इलाज की सुविधा से इन्कार कर दिया।
जब अधिवक्ता ने 3.02 लाख रुपये का क्लेम बीमा कंपनी को प्रस्तुत किया तो बीमा कंपनी ने पहले टालमटोल की बाद में क्लेम निरस्त कर दिया। जिस पर अधिवक्ता ने आयोग में परिवाद प्रस्तुत किया। नौ साल चली सुनवाई के बाद आयोग ने पाया की क्लेम न देकर बीमा कंपनी ने सेवा में कमी की है। जिस पर अध्यक्ष योगेंद्र राम गुप्ता व सदस्य राजकमल दीक्षित एवं भारती चतुर्वेदी ने परिवाद को आंशिक स्वीकारते हुए एसडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ आदेश पारित किया।
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