[ad_1]
Bihar Caste Census: OBC Politics
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
बिहार सरकार के द्वारा जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी करने से एक सियासी तूफान आ गया है। कांग्रेस के खुलकर इसके पक्ष में आ जाने से यह भी स्पष्ट हो गया है कि विपक्ष इसे अपना प्रमुख मुद्दा बनाकर 2024 में मोदी सरकार को चुनौती देगा। लेकिन ऐसा नहीं है कि भाजपा विपक्ष के इस संभावित हमले से पूरी तरह अनजान थी। भाजपा नेताओं की मानें तो उन्हें इस संभावित हमले की पूरी जानकारी थी। पार्टी ने इससे बचने का पूरा प्लान भी तैयार कर रखा है। उसने पहले ही ओबीसी आयोग बनाने, मेडिकल और शिक्षा में ओबीसी समुदाय को आरक्षण दिलाने और क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने जैसे काम कर रखे हैं। इसके सहारे पार्टी को उम्मीद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जातिगत जनगणना के दांव से उसे कोई विशेष नुकसान नहीं होगा।
लोकसभा में महिला आरक्षण पर चल रही बहस के दौरान राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय को भागीदारी देने का मुद्दा उठाया था। इस पर अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में 29 मंत्री ओबीसी समुदाय से हैं। भाजपा के 85 सांसद, 27 फीसदी विधायक और 40 फीसदी एमएलसी ओबीसी समुदाय से ही हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले से ही ओबीसी समुदाय को भागीदारी देने में आगे रही है। ऐसे में विपक्ष को उन पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि स्वयं उसने (विपक्ष ने) ओबीसी समुदाय को पर्याप्त भागीदारी नहीं दी है।
पंचायतों में भी पहले ही दिया ओबीसी को हिस्सा
भाजपा ओबीसी समुदाय की इस राजनीति को पहले ही उस स्तर पर ले जा चुकी है, जहां विपक्ष का कोई दल अभी तक नहीं पहुंच पाया है। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के दौरान भाजपा ने ओबीसी समुदाय को आरक्षण दिलाने का प्रयास किया, लेकिन इसकी राह में कानूनी अड़चनें खड़ी कर इसे रोकने की कोशिश की गई। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय तक चली लड़ाई में अंततः योगी आदित्यनाथ सरकार की जीत हुई और पंचायत चुनावों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण दिया जा सका।
[ad_2]
Source link