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वाराणसी में पीएम मोदी का मिनी रोड शो
– फोटो : अमर उजाला
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में तीन प्रमुख कार्यक्रमों में हिस्सा लिया इस दौरान उन्होंने क्या कहा, उनकी पूरी बात …।
रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर: यह ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने कभी पक्का घर भी नहीं देखा। लेकिन जिस आत्मविश्वास से प्रधानमंत्री को डि्रल कर रहे थे, ऐसे सवाल पूछ रहे थे, मैं, भी कोई सिलेबस पढ़कर आया नहीं था।
काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के सभी प्रतिभागी साथियों और रुद्राक्ष में उपस्थित मेरे प्यारे काशीवासियों। बाबा के आशीर्वाद से काशी का सम्मान आज नित नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है। जी20 समिट के जरिये भारत ने पूरी दुनिया में अपना झंडा गाड़ा है, लेकिन उसमें काशी की चर्चा विशेष है। काशी की सेवा, काशी का स्वाद, काशी की संस्कृति और काशी का संगीत। जी20 का जो भी मेहमान काशी आया वह इसे अपनी यादों में समेटते हुए साथ लेते हुए गया। जी20 की अद्भुत सफलता महादेव के आशीर्वाद से ही संभव हुई है। बाबा की कृपा से काशी अब विकास के ऐसे आयाम गढ़ रही है जो अभूतपूर्व है। आपको भी लगता है ना? मैं जो कह रहा हूं आपको सच लग रहा है। आप बदलाव देख रहे हैं। काशी चमक रही है। दुनिया में काशी का नाम बढ़ता जा रहा है।
मेरे परिवारजनों 2014 में जब मैं यहां आया था तो मैंने जिस काशी की कल्पना की थी, विकास और विरासत का वो सपना अब धीरे-धीरे साकार हो रहा है। दिल्ली में व्यस्तता के बीच भी काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के वीडियो जरूर देखता था। व्यस्तता के बीच देर से पहुंचने के बीच भी मैं दो से चार मिनट के वीडियो देख लेता था क्या चल रहा है? और मैंने देखा है, बड़ी प्रभावित करने वाली प्रस्तुतियां थीं। अद्भुत प्रस्तुति। अभी तो इस आयोजन का पहला साल रहा है, लेकिन फिर भी इसमें करीब 40 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। लाखों दर्शक प्रत्यक्ष रूप में इसका आनंद लेने के लिए आए। इसका सामर्थ्य इतना है कि हर कोई लिखेगा कि मैंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। दुनिया भी पूछेगी कि आपने उस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है आ जाइए आपके इंटरव्यू की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा होने वाला है।
काशी आकर्षण का नया केंद्र बनेगा
ये देश दुनिया के पर्यटकों के लिए यह हमारा काशी आकर्षण का नया केंद्र बनेगा। काशी और संस्कृति एक ही ऊर्जा के दो नाम हैं। आप उनको अलग कर ही नहीं सकते। काशी को तो देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। काशी की गली-गली में गीत गूंजते हैं। यह तो स्वाभाविक भी है क्यों कि यह नटराज की अपनी नगरी है। सारी नृत्य कलाएं नटराज के तांडव से ही उत्पन्न हुए हैं। सारे स्वर महादेव के डमरू से उत्पन्न हुए हैं। सारी विधाओं ने बाबा के विचारों से जन्म लिया है। इन कलाओं और विधाओं को भरत मुनि जैसे आदि आचार्यों ने व्यवस्थित और विकसित किया। काशी मतलब सात वार नौ त्योहार। यह सात वार और नौ त्योहार वाली मेरी काशी में कोई भी उत्सव गीत संगीत के बिना पूरा हो ही नहीं सकता है।
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