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पितृपक्ष पर पितरों को तर्पण
– फोटो : अमर उजाला
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पूर्णिमा के श्राद्ध के साथ ही मोक्ष भूमि काशी पर पुरखों को नमन और तर्पण करने का सिलसिला आरंभ हो गया। पहले ही दिन शुक्रवार को पिशाचमोचन कुंड पर दो हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया। वहीं दूसरे दिन शनिवार को भी पिशाच मोचन पर हजारों के संख्या में लोग पितृपक्ष में श्राद्ध करते नजर आए।
पूर्वांचल के साथ ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, राजस्थान से श्रद्धालु पूर्णिमा के श्राद्ध के लिए पिशाचमोचन कुंड और गंगा के तट पर पहुंचे। इस साल श्राद्ध के पक्ष में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
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शुक्रवार को अस्सी से लेकर राजघाट और पिशाचमोचन कुंड पूर्णिमा का श्राद्ध करने वालों से गुलजार रहा। सबसे अधिक भीड़ का दबाव पिशाचमोचन कुंड पर रहा। पितरों के निमित्त त्रिपिंडी के अनुष्ठान के बाद श्रद्धालुओं ने दान पुण्य भी किया। वहीं गंगा के तट पर भी पूर्णिमा स्नान के साथ ही श्राद्ध करने वालों का तांता लगा रहा है। दशाश्वमेध घाट, अस्सी, राजघाट, मणिकर्णिका पर श्राद्ध और तर्पण करने वालों की भीड़ रही। वहीं दूसरी तरफ प्रतिपदा के श्राद्ध की तैयारियों को भी देर शाम तक अंतिम रूप दिया गया।
घाट की मढि़यों और सीढि़यों पर सज गईं चौकियां
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन शुक्ल पक्ष की अमावस्या तक चलने वाले पितृ पक्ष में मोक्ष नगरी काशी में दक्षिण भारत, बिहार, झारखंड, कोलकाता समेत अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु अपने पूर्वजों का तर्पण करने आते हैं। पितृ पक्ष मास शुरू होने से पहले ही गंगा घाट से लगायत शहर की गलियों के होटल, लॉज, गेस्ट हाउस की बुकिंग फुल हो चुकी है। शुक्रवार को राजघाट, प्रह्लाद घाट, रानी घाट, गोला घाट, गाय घाट, पंचगंगा घाट और ब्रह्मा घाट तक की मढि़यों और सीढि़यों की चौकियां सज गईं हैं।
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