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बांकेबिहारी मंदिर
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मथुरा में बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर की सुगबुगाहट फिर से शुरू होते ही इसके पक्ष और विपक्ष में हलचल मच गई है। साल 2022 में जन्माष्टमी पर मंगला आरती के दौरान दम घुटने से दो लोगों की मौत के बाद गठित कमेटी ने कॉरिडोर का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद से ही वृंदावन के सेवायत, व्यपारी, संत समाज और आम लोग दो पक्षों में बंट गए थे। एक पक्ष ने इसका लगातार विरोध किया जबकि दूसरा पक्ष इसके समर्थन में था। फिलहाल मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैं, लेकिन रविवार को सीएम योगी ने तीर्थ विकास परिषद और जिला प्रशासन से इस प्रोजेक्ट का विस्तृत विवरण लिया। इससे चर्चा है कि अब कॉरिडोर का रास्ता साफ होने जा रहा है। ऐसा होता है तो करीब 10 हजार श्रद्धालु अपने आराध्य के सुगमतापूर्वक दर्शन कर सकेंगे। कॉरिडोर पांच एकड़ क्षेत्र में वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर बनाया जाना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 सितंबर को बिहारीजी कॉरिडोर को लेकर सुनवाई है। इसमें जिला प्रशासन को कॉरिडोर पर विस्तृत विवरण देना है। इससे पहले रविवार को उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष इसका प्रजेंटेशन दिया। कॉरिडोर बिहारीजी मंदिर के सामने पांच एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित है, जो जमीन की भौगोलिक स्थिति के कारण दो हिस्सों में होगा। इसे विद्यापीठ और परिक्रमा मार्ग से जोड़ा गया है। प्रस्तावित कॉरिडोर में बिहारी जी के भक्तों की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रखा गया है। इसमें एक साथ 10 हजार लोगों की मौजूदगी हो सकेगी।
तीर्थ विकास परिषद ने इस पर करीब 505 करोड़ रुपये खर्च का आकलन किया गया है। कॉरिडोर के लिए 300 से अधिक दुकानों और मकानों का अधिग्रहण किया जाएगा। वारणासी के पैटर्न पर प्रस्तावित इस कॉरिडोर की सीढि़या चढ़ते ही इसकी खूबसूरती भी बढ़ती जाएगी। कदंब और करील के पौधे कॉरिडोर में अपनी आभा बिखेरेंगे। इसके साथ ही श्रीबांकेबिहारी मंदिर के परिक्रमा मार्ग को भी नया स्वरूप दिया जाना है। इसके लिए भी बिहारीजी मंदिर के आसपास की जमीन अधिगृहीत की जानी है।
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