विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से कहा कि वे आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर प्रतिक्रिया तय करने के लिए ‘राजनीतिक सुविधा’ को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हमें रंगभेद जैसे अन्याय की फिर से पुनरावृत्ति नहीं होने देनी चाहिए। जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों की चोरी का गवाह नहीं बन सकती है। बाजारों की शक्ति का उपयोग जरूरतमंदों से अमीर तक भोजन और ऊर्जा पहुंचाने नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘न ही हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि राजनीतिक सुविधा के अनुसार आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा का जवाब तय किया जाए। उनकी टिप्पणी कनाडा की ओर इशारा करती प्रतीत होती है जिसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को एक खालिस्तानी चरमपंथी नेता की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया है और कहा है कि यह ‘पूर्वाग्रह की एक सीमा’ होती है।
UNGA में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “भारत विविध साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है। गुटनिरपेक्षता के युग से, अब हम ‘विश्व मित्र- दुनिया के लिए एक मित्र’ के युग में विकसित हो गए हैं। यह विभिन्न देशों के साथ जुड़ने और जहां आवश्यक हो, हितों में सामंजस्य स्थापित करने की हमारी क्षमता और इच्छा में परिलक्षित होता है। यह QUAD के तीव्र विकास में दिखाई देता है; यह BRICS समूह के विस्तार या I2U2 के उद्भव में भी समान रूप से स्पष्ट है।”
UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, “हमने 75 देशों के साथ विकासात्मक साझेदारी बनाई है। आपदा और आपातकालीन स्थिति में भी हम पहले उत्तरदाता बने हैं। तुर्की और सीरिया के लोगों ने यह देखा है।” विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, “हमारा नवीनतम दावा विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए अग्रणी कानून है। मैं एक ऐसे समाज के लिए बोलता हूं जहां लोकतंत्र की प्राचीन परंपराओं ने गहरी आधुनिक जड़ें हैं। परिणामस्वरूप, हमारी सोच, दृष्टिकोण और कार्य अधिक जमीनी और प्रामाणिक हैं।”
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस से मुलाकात की थी। जयशंकर बीते शुक्रवार से अमेरिका की अपनी नौ दिवसीय यात्रा पर हैं। यहां वे मुख्य रूप से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के वार्षिक सत्र में भाग लेने और ग्लोबल साउथ पर एक विशेष कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए पहुंचे हैं।
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फ्रांसिस से मुलाकात की और उन्हें भारत-संयुक्त राष्ट्र फॉर ग्लोबल साउथ: डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट’ साइड इवेंट में उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। इवेंट को जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के इतर शनिवार को न्यूयॉर्क में आयोजित किया था।
यूएनजीए अध्यक्ष फ्रांसिस से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मिले और वैश्विक संगठन में सतत विकास के एजेंडे को मजबूती देने और उसकी ओर से भारत की जी-20 अध्यक्षता के योगदान पर चर्चा की। जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की प्रतिबद्धता की सराहना भी की।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि इस साल जी-20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत उत्तर-दक्षिण विभाजन और पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण को पाटने में सक्षम रहा। आज का भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों को मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान देने में सक्षम है।
न्यूयॉर्क से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन में कठिन मुद्दों पर बातचीत हुई और सामूहिक कार्रवाई पर जोर दिया गया। जब हम कहते हैं, एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य, तो दुनिया हम पर विश्वास करती है। आज, भारत को एक समाधान प्रदाता के रूप में देखा जाता है, जो विभाजन को पाटता है। जी-20 के नई दिल्ली घोषणा पत्र को भारत की अध्यक्षता की महत्वपूर्ण जीत बताते हुए जयशंकर ने कहा, इस पर सहमति यूक्रेन संघर्ष पर जी-20 सदस्य देशों के बीच बढ़ते तनाव और भिन्न विचारों के बीच आई। जी-20 की अध्यक्षता की सफलता में उत्साह और स्वामित्व महत्वपूर्ण कारक था।