सीसीएसयू का दीक्षांत समारोह:अमीषा को अतुल माहेश्वरी और मुस्कान को मिलेगा मुरारीलाल माहेश्वरी स्वर्ण पदक – Ccsu Convocation Ceremony On 18th October

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CCSU convocation ceremony on 18th October

अमीषा पटेल और मुस्कान
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में वर्ष 2023 के लिए अतुल माहेश्वरी स्वर्ण पदक एमजेएमसी की टॉपर रुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मवाना रोड की अमीषा पटेल को मिलेगा। अतुल माहेश्वरी अमर उजाला के नवोन्मेषक रहे हैं। प्रतिवर्ष इनके नाम पर टॉपर्स को ये स्वर्ण पदक दिया जाता है।

इसके साथ एमकॉम की टॉपर रुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रसूलाबाद नानपुर गाजियाबाद की मुस्कान को दिया जाएगा। मुरारी लाल माहेश्वरी अमर उजाला के संस्थापक रहे हैं। प्रतिवर्ष इनके नाम पर एमकॉम टॉपर्स को ये स्वर्ण पदक दिया जाता है। 18 अक्तूबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में राज्यपाल-कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल उन्हें मेडल देंगीं।

मेरठ के न्यू हनुमान पुरी सूरजकुंड निवासी अमीषा पटेल ने बताया जब उसे पता चला एमजेएमसी में यूनिवर्सिटी टॉप कर अतुल माहेश्वरी स्वर्ण पदक मिलता है, तो उसने स्थानीय न्यूज चैनल में न्यूज एंकरिंग के साथ देर रात तक पढ़ाई शुरू कर दी और अथक प्रयास का परिणाम है कि स्वर्ण पदक के लिए नाम चयनित हुआ। अमीषा कहती हैं कि अमर उजाला अखबार की सरल भाषा है, इसलिए मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। यह मेरे लिए बेहद खुशी का पल है कि सीसीएसयू ने मुझे स्वर्ण पदक के लिए चुना। अमीषा के पिता किशन प्रकाश पटेल ट्रांसपोर्टर और मां एसबीआई में कैशियर हैं। छात्रा का कहना है कि मेरा हमेशा प्रयास रहता है कि माता-पिता मुझ पर गर्व करें। देश के टॉप न्यूज चैनल में एंकरिंग करना मेरा लक्ष्य है।

मेरठ के किठौर के होली मोहल्ला निवासी एमकॉम टॉपर मुस्कान कहती हैं कि मुरारी लाल माहेश्वरी मेमोरियल स्वर्ण पदक मिलने की बात से घर से लेकर मोहल्ले तक में खुशी का आलम है। मुस्कान के पिता मेहर आलम घर पर ही दुकान में डेयरी चलाते हैं। पांच बहन और एक भाई में दूसरे नंबर की मुस्कान ने बताया कि उसके पिता कभी बेटा-बेटी में फर्क नहीं करते। पढ़ाई करके आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। ट्यूशन पढ़ने के लिए आर्थिक स्थिति न होने पर खुद ही पढ़ाई की है।

मुस्कान ने बताया कि उन्होंने नियमित छह से सात घंटे तक पढ़ाई की। बड़ी बहन दो नंबर से एमकॉम में मुरारी लाल माहेश्वरी स्वर्ण पदक पाने से चूक गई थीं, तभी उसने तय कर लिया था कि कड़ी मेहनत करके यह पदक हासिल करेगी। मां सलमा परवीन ने मुझे इसके लिए प्रेरित किया। पिता ने आगे बढ़ने का सपना दिखाया। कॉलेज के विभागाध्यक्ष से हमेशा पढ़ाई में मेरी मदद की। मेरा लक्ष्य जेआरएफ क्लीयर करके पीएचडी करना और डिग्री कॉलेज में शिक्षक बनना है।

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