[ad_1]
छात्र-छात्राओं ने लिखा हिंदी वर्णमाला
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
लो फिर आ गया हिंदी दिवस। एक बार फिर हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा तक पहुंचाने का संकल्प लिया जाएगा। फिर हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग की कसमें खाई जाएंगी। जिनकी मातृभाषा हिंदी है, उनके लिए एक एक सवाल आज ज्यादा मौजूं हो जाता है। क्या सच में हम हिंदी को लेकर वाकई गंभीर हैं। क्या हमारी युवा पीढ़ी हिंदी की वर्णमाला अच्छी तरह से जानती है। इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने पूर्वांचल में किया एक सर्वेक्षण। इस सर्वेक्षण के परिणाम चौंकाने वाले थे।
इसे हिंदी का दुर्भाग्य कहें या फिर हमारे कान्वेंट एजुकेशन वाली शिक्षा व्यवस्था का अभिशाप। हिंदी विषय में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे आधे से ज्यादा विद्यार्थी हिंदी वर्णमाला का ही पूर्ण ज्ञान नहीं रखते। कहने को ये 12वीं उत्तीर्ण और उच्च शिक्षा के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में पास हैं। हिंदी के ज्ञाता बन रहे हैं। लेकिन हकीकत में हिंदी के ककहरा ज्ञान में फेल हैं। ये सच सामने आया है अमर उजाला के सर्वेक्षण में। विश्व हिंदी दिवस के पूर्व अमर उजाला ने पूर्वांचल के तीन मंडलों के 10 जिलों में हिंदी विषय में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे 50 विद्यार्थियों पर सर्वेक्षण किया।
60 सेकेंड में हिंदी वर्णमाला नहीं लिख सके विद्यार्थी
सर्वे में प्रत्येक जिले से 5-5 विद्यार्थियों का शामिल किया गया था। सभी से हिंदी वर्णमाला का क से ज्ञ तक 60 सेकेंड में लिखने का कहा गया। इस सर्वेक्षण में 54 फीसदी छात्र-छात्राएं क से ज्ञ तक लिखने में फेल साबित हुए। सिर्फ 46 फीसदी विद्यार्थी ही इसे सही-सही पूरा लिख सके। जिन्होंने इसे पूरी तरह लिखा, उसमें भी कुछ ऐसे थे जिन्होंने ड और ढ जैसे अक्षर के नीचे बिंदी लगाकर उसे ड़ या ढ़ कर दिया।
ये भी पढ़ें: नागरी प्रचारिणी सभा…. हिंदी को अलग पहचान दिलाने वाले गढ़ को आखिर लोग भूल क्यों गए?
[ad_2]
Source link