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Israel-Hamas Conflict
– फोटो : ANI
विस्तार
हमास के साथ जंग में इस्राइल का साथ देने के कारण न तो भारत के अरब देशों से रिश्ते खराब होंगे और न ही चीन के बीआरआई का जवाब मानी जा रही इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) परियोजना पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। भारत मानता है कि हमास के हमले को अब दुनिया आतंकवाद के रूप में देख रही है, इसके अलावा मुस्लिम राजनीति पर असर रखने वाली ताकतें अब इस्राइल व फलस्तीन के मामले में पहले जैसी तल्खी नहीं रखती।
नीतियों में बड़ा बदलाव ला रहे यह देश
सरकारी सूत्रों ने कहा कि हमास के साथ जंग में भारत ने बिना किसी की परवाह किए इस्राइल के साथ मजबूती से खड़े रहने की घोषणा की है। इस सुर में न तो नरमी आएगी और न ही भारत अपने रुख में भविष्य में कोई बदलाव करने जा रहा है। जहां तक इस कड़े रुख के कारण अरब देशों से रिश्ते खराब की संभावना की बात है तो ऐसा नहीं होने जा रहा। सरकारी सूत्र ने कहा कि इस मामले में अब तक ईरान और तुर्किये ही खुल कर फलस्तीन के पक्ष में हैं। खाड़ी देशों की मुख्य ताकत सऊदी अरब और यूएई ने अब तक बीच का रास्ता अपनाया है। दोनों देश अपनी नई वैश्विक पहचान बनाने के लिए अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव ला रहे हैं। इसी रणनीति के कारण सऊदी अरब और इस्राइल करीब आ रहे हैं।
फलस्तीन ने नहीं दिया भारत का साथ
भारत ने लगातार चार दशक तक इस्राइल की कीमत पर लगातार फलस्तीन का साथ दिया। हालांकि फलस्तीन ने कश्मीर मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया। बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद पाकिस्तान के भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों को एकजुट करनेे की मुहिम में भी फलस्तीन साथ था। जबकि इस्राइल हमेशा सभी मुद्दों पर भारत के साथ खड़ा रहा। वह आज भी भारत के साथ खड़ा है।
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