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स्टांप ड्यूटी
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उत्तर प्रदेश के आगरा में रजिस्ट्री दफ्तर में स्टांप चोरी का खेल पुराना है। यहां मकानों को प्लॉट दर्शाकर रजिस्ट्री में स्टांप चोरी का खेल चल रहा है। सत्यापन के नाम पर धन उगाही होती है। दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती। शासन से जांच के आदेश फाइलों में दबे हुए हैं। स्टांप चोरी साबित होने के बाद भी मुकदमों में जुर्माना नहीं वसूला जाता।
सदर तहसील में रजिस्ट्री दफ्तर है। जहां पांच सब रजिस्ट्रार हैं। प्रत्येक सब रजिस्ट्रार का क्षेत्र निर्धारित था, लेकिन ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने के बाद अब किसी भी सब रजिस्ट्रार दफ्तर में किसी भी क्षेत्र का बैनामा पंजीकृत हो सकता है। गाजियाबाद का एक बैनामा 10 रुपये के स्टांप को 1.10 लाख रुपये का बनाकर हुआ।
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इसके बाद पंजीयन एवं स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल ने 1.25 लाख बैनामों की जांच के आदेश दिए हैं। इस एक बैनामा में एक लाख रुपये की स्टांप चोरी हो गई। इसके अलावा रजिस्ट्री दफ्तर में बड़े पैमाने पर स्टांप चोरी का खेल चल रहा है। जिसमें बाबू से लेकर आला अफसर तक शामिल हैं।
पूर्व में आगरा में एडीएम वित्त रहे रामआसरे पर स्टांप चोरी के मुकदमों को छोड़ने को लेकर कार्रवाई हो चुकी है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सरकारी विभाग ही नहीं प्राइवेट बिल्डर भी स्टांप चोरी में शामिल हैं। ये कॉलोनियों में मकान बनाकर बेच रहे हैं। जबकि रजिस्ट्री में प्लॉट दर्शा रहे हैं।
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पार्क फैसिंग और 30 फीट से अधिक चौड़ी सड़क पर प्लॉट का अधिक स्टांप लगता है, लेकिन बैनामा में पार्क फैसिंग व चौड़ी सड़क, आबादी छिपाई जाती है। जांच के लिए सत्यापन का प्रावधान है। लेकिन, सत्यापन में भी रजिस्ट्री दफ्तर के कर्मियों पर धन उगाही के आरोप लग रहे हैं।
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