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कुत्ते
– फोटो : प्रतीकात्मक
विस्तार
अलीगढ़ शहर में कुत्तों की आबादी 50 हजार तक हो चुकी है। इसी वर्ष दो लोगों की कुत्तों के काटने से मौत हो चुकी है। वहीं, बीते नौ महीने में लगभग 85 हजार से अधिक रैबीज इंजेक्शन लगवाए जा चुके हैं। ऐसे में कुत्तों के खौफ से निजात के लिए लंबा इंतजार करना होगा। तेजी से बढ़ती हुई इस आबादी को थामने के लिए नगर निगम ने इनकी नसबंदी का अभियान चलाया है। जिसको पूरा करने में लगभग पांच से छह वर्ष लंबा वक्त लग जाएगा। 700 कुत्तों की नसबंदी हर महीने करने का लक्ष्य रखा गया है।
इससे पहले वर्ष 2017-18 में तकरीबन 2650 कुत्तों की नसबंदी कराई गई थी। इसके बावजूद इनकी संख्या इतनी कैसे बढ़ गई, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। शहर में दूसरी बार इनकी नसबंदी हो रही है। नर कुत्ते की नसबंदी में लगभग 10 मिनट और मादा में 20 मिनट का समय लगता है। इसके बाद सामान्य होने में इनको तीन से चार दिन का समय लगता है।
अब तक लगभग 1500 कुत्तों की नसबंदी हुई है, जिसमें तकरीबन 900 नर और 600 मादा है। 20 से 25 कुत्तों को रोजाना पकड़ा जा रहा है। जिनको क्वार्सी चौराहे से अनूपशहर रोड की ओर बने नगर निगम के एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में रखा जा रहा है। एक कुत्ते की नसबंदी का खर्च तकरीबन 918 रुपये आ रहा है। मैसर्स दक्ष फाउंडेशन को इसका ठेका मिला है, जो खैर के बामनी गांव की संस्था है। नगर निगम के पास नौ बड़े पिंजड़े है, जिसमें एक साथ 6 कुत्ते रखे जा सकते हैं। वहीं नौ ऐसे पिंजड़े हैं, जिसमें एक कुत्ते को रखा जा सकता है। इस तरह से कुल 15 पिंजड़े हैं।
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