G20 India:क्या भारत के इस दांव से घिर जाएंगे शी जिनपिंग? चीन को Quad की टोली के जरिए चुनौती देगा भारत – G20 Will Xi Jinping Be Trapped By This Move Of India Pm Modi Will Challenge China Through Quad Group

0
23

[ad_1]

‘जी20’ शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति ‘शी जिनपिंग’ की अनुपस्थिति को कई नजरिये से देखा जा रहा है। हालांकि, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, जी20 की बैठक में हिस्सा लेंगे। ‘जिनपिंग’ के दिल्ली न आने की स्क्रिप्ट, 23 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित 15वें ‘ब्रिक्स’ शिखर सम्मेलन में लिखी गई थी। वहां पर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात को लेकर दोनों मुल्कों के विदेश मंत्रालयों ने अलग कहानी बताई। नतीजा, चीन द्वारा ‘अरुणाचल प्रदेश’ और ‘अक्साई चिन’ को चीनी सीमा में दिखाने वाला एक नक्शा जारी कर दिया गया। 

विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि शी जिनपिंग को घेरने के लिए भारत ने भी दांव खेल दिया है। ड्रैगन को अब क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग ‘क्वाड’ की टोली के जरिए भारत, चुनौती देगा। ‘क्वाड’ के सदस्य देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं। संभव है कि अगले वर्ष 26 जनवरी को नई दिल्ली में ये देश गणतंत्र दिवस परेड के साक्षी बनें। ‘जी20’ शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति और जापान के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। 

अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान का साथ

बता दें कि मई में क्वाड देशों का दूसरा शिखर सम्मेलन, जापान में आयोजित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के हिरोशिमा में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन के साथ व्यक्तिगत उपस्थिति वाले तीसरे क्वाड राजनेता शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। पीएम मोदी ने समुद्र में केबल के डिजाइन, निर्माण, बिछाने और रखरखाव में क्वाड की सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए ‘केबल संचार-संपर्क और सहनीयता के लिए साझेदारी पर बल दिया था। 

राजनेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में विकास के बारे में महत्वपूर्ण बातचीत की। एक मुक्त, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपने दृष्टिकोण के तहत, इन नेताओं ने संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को दोहराया। बैठक के बाद क्वाड राजनेता दृष्टिपत्र वक्तव्य-‘भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए स्थायी भागीदार’ जारी किया गया, जो उनके सैद्धांतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। 

जानकारों का कहना है कि चीन के साथ जारी सीमा विवाद के मद्देनजर, भारत अब ‘क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग’ में अपनी सक्रिय भागेदारी से चीन को घेरने की कोशिश करेगा। वजह, इस समूह में अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे मजबूत राष्ट्र हैं। भारत, पिछले कई वर्षों से जापान के साथ, तकनीक से जुड़े कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका के साथ भी कई तरह के सैन्य उपकरणों से संबंधित वार्ता चल रही हैं। 

यह चीन के लिए एक झटके से कम नहीं होगा

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड में क्वाड समूह के नेताओं को आमंत्रित करने की संभावना देख रहा है। अगर इसके लिए ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका तैयार होते हैं तो क्वाड की आगामी बैठक, नई दिल्ली में 25 जनवरी को हो सकती है। इनमें से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को गणतंत्र दिवस परेड में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जा सकता है। अगर इसके लिए सभी देश तैयार होते हैं तो यह चीन के लिए एक झटके से कम नहीं होगा। 

रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के प्रयास शुरु हो चुके हैं। हालांकि इसमें कुछ मुश्किलें भी हैं। वजह, अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव आ रहा है। साथ ही 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इन देशों के प्रमुख, दिल्ली पहुंचेंगे, इसमें संदेह है। अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है। भारत चाहता है कि क्वाड की बैठक, 25 जनवरी को आयोजित हो। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में क्वाड नेताओं की बैठक में यह घोषणा की थी कि अगले साल, भारत इसकी मेजबानी करेगा। यह समूह खुद को इंडो-पैसिफिक में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में स्थापित कर चुका है। ये चारों देश, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वैश्विक व्यापार, नवाचार और विकास का इंजन बनकर काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने क्वाड के रचनात्मक एजेंडे को मजबूत करने और क्षेत्र के लिए ठोस परिणाम प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया है। 

मई में क्वाड सम्मेलन में इन मुद्दों पर बनी सहमति

भारत-प्रशांत क्षेत्र की सहनीयता और समृद्धि को मजबूत करने के लिए, क्वाड समूह के राजनेताओं ने कई मुद्दों पर सहमति जताई थी। स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला पहल, जो अनुसंधान और विकास में सुविधा प्रदान करेगी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में ऊर्जा स्रोतों में बदलाव का समर्थन करेगी। इसके अलावा, स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के विकास पर क्षेत्र के साथ जुड़ाव का मार्गदर्शन करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़े क्वाड सिद्धांतों को मंजूरी दी गई। 

महत्वपूर्ण नेटवर्कों को सुरक्षित और विविध बनाने के लिए समुद्र में केबल के डिजाइन, निर्माण, बिछाने और रखरखाव में क्वाड की सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए ‘केबल संचार-संपर्क और सहनीयता के लिए साझेदारी पर बल दिया गया। प्रशांत क्षेत्र में पहली बार पलाऊ में छोटे पैमाने पर ओआरएएन तैनाती के लिए क्वाड का समर्थन मिला। सभी नेताओं ने खुले, सह-संचालित और सुरक्षित टेलीकॉम प्लेटफॉर्म में उद्योग निवेश का समर्थन करने के लिए ओआरएएन सुरक्षा रिपोर्ट भी जारी की। 

क्वाड निवेशक नेटवर्क को रणनीतिक प्रौद्योगिकियों में निवेश की सुविधा के लिए एक निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले प्लेटफार्म के रूप में लॉन्च किया गया। दक्षिण-पूर्व और प्रशांत क्षेत्र के भागीदारों के साथ डेटा साझा किया जा रहा है। जल्द ही इसमें हिंद महासागर क्षेत्र के भागीदारों को शामिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस क्षेत्र में मांग-संचालित विकास सहयोग के प्रति भारत का दृष्टिकोण कैसे इन प्रयासों में योगदान दे रहा है। 

इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज ने कहा था कि मैं फिर से करीबी दोस्तों के बीच आकर खुश हूं। एक खुले, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक साथ खड़े हैं। ये एक ऐसा क्षेत्र है जहां संप्रभुता का सम्मान किया जाता है और क्षेत्रीय संतुलन से बड़े और छोटे सभी देशों को लाभ होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था, मुझे लगता है कि लोग अब से 20-30 साल बाद इस क्वाड को देखेंगे। वे कहेंगे कि परिवर्तन न केवल क्षेत्र में बल्कि दुनिया में भी गतिशील है।

[ad_2]

Source link

Letyshops [lifetime] INT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here