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गोंडा के मनकापुर नगर पंचायत स्थित गुरुद्वारा।
– फोटो : amar ujala
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गोंडा जिले के मनकापुर बाजार में दीवानी न्यायालय से स्थगनादेश के बावजूद गुरुद्वारा सहित रिहायशी मकान पर कब्जा कराने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मनकापुर कोतवाल समेत दो निरीक्षकों को तत्काल जिला बदर करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के इस आदेश से पुलिस महकमे और राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। याचिका में पक्षकार बनाए गए सांसद कीर्तिवर्धन सिंह समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा गया है। याचिका पर अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को होगी।
मनकापुर बाजार निवासी 88 वर्षीय गुरबचन कौर, उनके पुत्र अमरजीत सिंह व स्वर्णपाल सिंह ने अधिवक्ता रिशद मुर्तजा व नीरज कुमार राय के माध्यम से उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी। इसमें भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह, जिला प्रशासन, पुलिस अधीक्षक समेत डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को पक्षकार बनाया था।
इसमें कहा था कि बाजार में उसका एक मकान व गुरुद्वारा है। इसके विवाद को लेकर उसने दीवानी न्यायालय में गुरबचन कौर बनाम कुलवंत कौर आदि के नाम वाद दायर किया था। इसमें 17 जुलाई 2023 को न्यायालय ने स्थगनादेश पारित किया। लेकिन दूसरे पक्ष से कुलवंत कौर ने सांसद से संपर्क किया तो वह मकान खाली करने का दबाव बनाने लगे।
आरोप लगाया कि बीते 15 सितंबर को क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अरुण कुमार राय कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के साथ आ धमके और मकान व गुरुद्वारा खाली करने को कहा। अगले दिन 16 सितंबर को विपक्षी कुलवंत कौर 50 लोगों के साथ घर में घुस आईं और मकान के कुछ भाग पर कब्जा कर लिया। पीड़िता गुरबचन कौर के अनुसार उसने पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल को मामले की जानकारी दी तो उन्होंने मनकापुर कोतवाल सुधीर कुमार सिंह को सहायता का निर्देश दिया, लेकिन प्रभारी निरीक्षक ने उल्टा याची के पुत्रों को ही जेल भेजने की बात कही।
न्यायालय की नोटिस पर पुलिस अधीक्षक ने प्रभारी निरीक्षक सुधीर कुमार सिंह व अपराध शाखा के निरीक्षक अरुण कुमार राय की भूमिका की जांच के लिए क्षेत्राधिकारी को आदेश दिया गया। बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व नरेंद्र कुमार जोहरी ने निरीक्षक सुधीर कुमार सिंह व अरुण कुमार राय को तत्काल गोंडा जिले से हटाकर किसी अन्य जिले में तैनात करने का आदेश दिया।
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