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जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत 2023
– फोटो : iStock
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संतान के लिए आयु, आरोग्य, लाभ तथा सर्वविध कल्याण के लिए जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत पर तिथि भेद के संशय का काशी के पंचांगकारों ने समाधान कर दिया है। काशी के पंचांगकारों के अनुसार छह अक्तूबर को ही जीवित्पुत्रिका का व्रत और अनुष्ठान संपन्न होगा। विश्व पंचांग को छोड़कर काशी के सभी पंचांगकार छह अक्तूबर को जीवित्पुत्रिका व्रत का विधान कर रहे हैं। महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए निराजल व्रत रहकर जीवित्पुत्रिका की पूजा करेंगी।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और ज्योतिष विज्ञान समिति के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि भविष्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि पूर्वेद्युरपुरे द्युर्वा प्रदोषे यत्र चाष्टमी। तत्र पूज्या सदा स्त्रीभि: राजा जीमूत वाहन। तिथि पत्रिका में भी पद्माकर मिश्र ने भी इस कथन का पूर्ण समर्थन किया है। वस्तुत: उदयकालिक और प्रदोष कालिक अष्टमी का विभेद है।
इसमें बंगाल, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विद्वान वर्षकृत्य के अनुसार प्रदोष व्यापिनी को स्वीकार किया है। काशी के पंचांगकारों ने बहुमत के आधार पर निर्णय दिया है कि छह अक्तूबर को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाएगा। महावीर पंचांग के संपादक डॉ. रामेश्वर नाथ ओझा, प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय और बीएचयू के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने भी इस पर सहमति दी है।
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