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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के साथ दिल के मरीजों की समस्या बढ़ गई है। इनमें अत्यधिक खांसी, गले में खराश, सीने में दर्द, अचानक बीपी घटना-बढ़ना, चक्कर आना जैसी परेशानी दिख रही हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण तत्वों में पीएम 2.5 दिल के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा घातक है। यह ऐसे अति सूक्ष्म तत्व होते हैं जो लंग्स से होते हुए रक्त में मिलकर दिल तक पहुंच जाते हैं। इनके कारण कार्डियक अरेस्ट की आशंका काफी बढ़ जाती है। हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें खून का थक्का दिल में ब्लड बहाव को रोक देता है और हार्ट के उत्तकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
इस बारे में डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार ने कहा कि वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर है। यह इस्केमिक हृदय रोग, हृदय विफलता, कार्डियक अरेस्ट की आशंका को बढ़ा देता है। बुजुर्ग, धूम्रपान करने वाले, मधुमेह, हृदय रोगी सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। इसमें पीएम 2.5 सबसे घातक है। इसमें ऐसे खतरनाक तत्व होते हैं जिन्हें लंग्स भी नहीं रोक पाते। पीएम 2.5 स्तर में प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम/एम 3 से हृदय संबंधी मृत्यु दर में 8-18 फीसदी की अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। प्रदूषण के संपर्क में रहने से दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। यदि कोई व्यक्ति दो दिनों तक उच्च प्रदूषण स्तर में रहता है तो उसे दिल का दौरा पड़ने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
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