Rampur :नक्सलियों को कारतूस बेचने में सीआरपीएफ के दो हवलदार समेत 24 दोषी, आज सुनाई जाएगी सजा – 24 Including Two Crpf Constables Found Guilty Of Selling Cartridges To Naxalites, Will Be Sentenced Today

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24 including two CRPF constables found guilty of selling cartridges to Naxalites, will be sentenced today

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– फोटो : Agency (File Photo)

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यूपी के चर्चित कारतूस कांड में कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सीआरपीएफ के दो हवलदारों समेत 24 आरोपियों को दोषी करार दिया। साथ ही, सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। कोर्ट उन्हें शुक्रवार को सजा सुनाएगा। दोषियों में चार नागरिक और 20 पुलिस, पीएसी व सीआरपीएफ के कर्मचारी हैं। मुख्य आरोपी यशोदानंदन की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ कर्मियों पर नक्सलियों के हमले के बाद एसटीएफ को पता चला था कि पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को दिए जाने वाले कारतूसों को नक्सलियों को बेचा जा रहा है। इस हमले में 9 एमएम की गोली का इस्तेमाल किया गया था। इस इनपुट के आधार पर एसटीएफ ने 29 अप्रैल, 2010 को सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र से प्रयागराज पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ के दो हवलदार विनोद व विनेश पासवान को गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने उनके पास से बड़ी तादाद में कारतूस, इंसास राइफल व नकदी बरामद किया था। 

यशोदानंदन की डायरी से खुला पूरा राज

सुरक्षाबलों के कारतूस की नक्सलियों को बिक्री के मामले में एसटीएफ के इंस्पेक्टर आमोद कुमार सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। यशोदानंदन की डायरी से अन्य आरोपियों के नाम सामने आए। तब मुरादाबाद पीटीएस में तैनात आर्मरर नाथीराम सैनी समेत बस्ती, बनारस व गोंडा समेत कई जिलों से पुलिस व पीएसी के आर्मरर गिरफ्तार किए गए थे। सपा सरकार ने केस वापस लेने की कवायद शुरू की थी। उसके पत्र पर अभियोजन पक्ष और कोर्ट ने आपत्ति जताई, तो केस वापस नहीं हो सका था।

दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने सीआरपीएफ की ही गोलियों से भून दिया था 76 जवानों को

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 2010 में अपनी ही गोली से सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। इस बात का खुलासा कारतूस कांड के मुख्य आरोपी यशोदानंदन की डायरी से हुआ था। डायरी में साफ लिखा था कि पुलिस और सीआरपीएफ के मालखानों से हथियार और कारतूस चोरी कर लिए जाते थे और फिर इनको नागरिकों के जरिए नक्सलियों के जरिए पहुंचाया जाता था। बदले में नक्सली मुंह मांगी कीमत भी अदा करते थे।

छह अप्रैल, 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में गश्त के दौरान सीआरपीएफ की टुकड़ी पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। इस ताबड़तोड़ हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। विवेचना के दौरान बरामद गोली प्रतिबंधित बोर 9 एमएम की पाई गई थी। इसे सरकारी एजेंसिया इस्तेमाल करती हैं। इसके बाद सरकारी तंत्र के कान खड़े हो गए। मामले की जांच बैठाई गई। जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी गई थी। एसटीएफ की टीम ने बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ समेत प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की। 

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