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पाकिस्तान की बिगड़ते आर्थिक हालातों से कोई अनजन नहीं है। आए दिन अन्य देशों के सामने हाथ फैला देता है। इसी क्रम में, पाकिस्तान अपने गिरते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए हर किसी से रहम की मांग कर रहा था। तभी, जुलाई में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पड़ोसी देश की मदद करने के लिए तीन अरब डॉलर वाले राहत पैकेज का एलान किया। इससे वहां के लोगों के चेहरे खिल गए। हालांकि, अब इसी मदद को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि उसे यह मदद अमेरिका के साथ हुई एक गुप्त डील के तहत मिली थी।
यह थी डील
दो सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अमेरिका ने गुप्त हथियारों की खरीद के बदले इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान के लिए आईएमएफ बेलआउट पैकेज की एक डील सुरक्षित की थी। यह डील यूक्रेन की सेना को हथियारों की सप्लाई के मकसद से जुड़ी थी। एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान और अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों की पुष्टि करने वाले सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
जनता को कुछ पता नहीं लगता
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे यह पता चलता है कि पाकिस्तान को किस कदर अमेरिका से दबाव का सामना करना पड़ा था। क्योंकि हथियारों की बिक्री यूक्रेनी सेना की आपूर्ति के उद्देश्य से की गई थी। आगे कहा गया है कि इससे यह भी पता लगता है कि कैसे राजनीतिक और फाइनेंस से जुड़ा एलीट वर्ग छिपकर काम करता है। इसके बारे में कभी जनता को कुछ पता नहीं लग पाता है।
रखी गईं कठोर शर्तें
अमेरिका की एक मीडिया ने यह भी बताया कि आईएमएफ की तरफ से मिले बेलआउट पैकेज में कुछ कठोर शर्तें रखी गई हैं, जिसकी वजह से देश को बड़े विरोध का सामना करना पड़ा। देश में कई हड़तालें हुईं। यह विरोध प्रदर्शन देश में डेढ़ साल से चल रहे राजनीतिक संकट का ताजा अध्याय है।
दावा किया गया कि इमरान ने जाने से पहले विदेश मंत्रालय में राजनयिकों के सामने यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान के आक्रामक तटस्थ रुख पर नाराजगी जाहिर की थी। उनके जाने के बाद से यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान, अमेरिका और उसके साथियों का समर्थक बन गया है। उसकी मदद को अब आईएमएफ के कर्ज के तौर पर चुकाया जा रहा है। पाकिस्तान को आईएमएफ से मिले आपातकालीन कर्ज ने नई पाकिस्तानी सरकार को आर्थिक तबाही से बचने और चुनावों को अनिश्चित काल के लिए टालने की अनुमति दी।
पाकिस्तान में बने गोले यूक्रेन…
पाकिस्तान को यूक्रेन युद्ध के लिए जरूरी बुनियादी हथियारों के उत्पादन केंद्र के तौर पर जाना जाता है। यूक्रेन युद्ध सामग्री और हार्डवेयर की पुरानी कमी से जूझ रहा है। ऐसे में यूक्रेनी सेना की तरफ से पाकिस्तान में बने गोले और बाकी हथियारों के उपयोग की जानकारी कई बार सामने आई है। हालांकि न तो अमेरिका और न ही पाकिस्तानी ने कभी इस रिपोर्ट को स्वीकार किया है। कुछ दस्तावेज जो लीक हुए हैं, उनके मुताबिक साल 2022 से 2023 फरवरी तक तक अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हथियारों की बिक्री पर सहमति बनी थी।
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