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सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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सर्वोच्च न्यायालय ने नवजात बच्चे की हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराई गई एक महिला को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उसका अपराध साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी को उम्रकैद की सजा सुनाने के लिए निर्णायक सबूत की आवश्यकता होती है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा, एक महिला पर बिना किसी उचित सबूत के बच्चे की हत्या करने का दोष मढ़ना सांस्कृतिक रूढ़ियों और लैंगिक पहचान को मजबूत करता है।
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