Washington:’भारत गैर-पश्चिम है पर पश्चिम विरोधी नहीं’, हडसन इंस्टीट्यूट में ये बोले विदेश मंत्री जयशंकर – India Is Non-western. India Is Not Anti-western, Said S Jaishankar In America

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India is non-western. India is not anti-western, Said S Jaishankar in America

S Jaishankar
– फोटो : Social Media

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नई प्रशांत व्यवस्था में भारत की भूमिका पर चर्चा करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा एक नया विचार है, यह कुछ अलग है। आज हम भारत के पश्चिम की तुलना में भारत के पूर्व में बहुत अधिक व्यापार करते हैं। यहां हमारे प्रमुख व्यापार भागीदार और आर्थिक साझेदार हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये बातें हडसन इंस्ट्यूट में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कही।

एक दशक के इंतजार के बाद क्वाड को पुनर्जीवित किया गया

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “हिंद-प्रशांत से संबंधित, पिछले 6 वर्षों में एक और अवधारणा जिसने जमीन हासिल की है, वह क्वाड है। इसके लिए पहली बार 2007 में प्रयास किया गया था, लेकिन यह नहीं चला और फिर इसे 2017 में एक दशक बाद पुनर्जीवित किया गया। 2017 में, यह अमेरिका में नौकरशाही स्तर पर किया गया था। 2019 में यह एक मंत्रिस्तरीय मंच बन गया और 2021 में यह एक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मंच बन गया। ऐसा लगता है कि यह मजबूती से बढ़ रहा है और हमें अगले साल भारत में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का सौभाग्य मिलेगा।

भारत अमेरिका की साझेदारी दोनों देशों के लिए जरूरी

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘जॉन (मॉडरेटर) आपने कहा कि भारत और अमेरिका ने पहले कभी साथ काम नहीं किया। यह एक बहुत ही विचारशील अवलोकन है क्योंकि एक-दूसरे के साथ व्यवहार करना एक-दूसरे के साथ काम करने के समान नहीं है। अतीत में हमने हमेशा एक-दूसरे के साथ व्यवहार किया है, कभी-कभी पूरी तरह से खुशी से नहीं, लेकिन एक-दूसरे के साथ काम करना वास्तव में अज्ञात है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम दोनों ने पिछले कुछ वर्षों में प्रवेश किया है। इसके लिए हम दोनों की आवश्यकता है, जिसे मेरे प्रधानमंत्री ने कुछ वर्ष पहले कांग्रेस से बात करते समय इतिहास की हिचकिचाहट कहा था। मुझे लगता है कि प्रशांत व्यवस्था के भविष्य के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होगा।

हम जिस दुनिया में रह रहे वह काफी हद तक पश्चिमी संरचना

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, वह काफी हद तक पश्चिमी संरचना है। अब, यदि आप विश्व वास्तुकला को देखते हैं, तो पिछले 8 वर्षों में स्पष्ट रूप से भारी बदलाव आया है। जयशंकर ने कहा भारत गैर-पश्चिमी है। भारत पश्चिम विरोधी नहीं है।”

संयुक्त राष्ट्र को कुशल और उद्देश्यपूर्ण बनाने की जरूरत

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर कहते हैं, “… आज हम मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र जहां सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश सुरक्षा परिषद में नहीं है, जब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यहां नहीं है, जब 50 से अधिक देशों का महाद्वीप यहां नहीं है। तो ऐसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्र की स्पष्ट रूप से विश्वसनीयता और काफी हद तक प्रभावशीलता भी कम है।  हम इसे बेहतर, फिट, कुशल, उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए क्या कर सकते हैं इस पर विचार करने की जरूरत है।”

भारत-रूस के संबंध 70 साल से स्थिर हैं

भारत-रूस संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “… यदि आप पिछले 70 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विचार करते हैं, तो अमेरिका-रूस संबंध, चीन-रूस संबंध, अमेरिका-चीन संबंध… पिछले 70 वर्षों में लगभग हर बड़े रिश्ते में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है, इसमें तेज उतार-चढ़ाव दिखा है। भारत-रूस बहुत असाधारण हैं। यह बहुत स्थिर रहा है। यह शानदार नहीं हो सकता है, पर यह एक निश्चित स्तर पर स्थिर हो सकता है, लेकिन इसने उस तरह के उतार-चढ़ाव नहीं देखे हैं जो रूस के साथ आपके संबंध या रूस के साथ चीन के संबंधों या रूस के साथ यूरोप के संबंधों ने देखे हैं और यह अपने आप में अहम है। मुझे लगता है कि यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है, उसके परिणामस्वरूप, मुझे यह स्पष्ट लगता है कि कई मायनों में पश्चिम के साथ रूस के संबंध टूट गए हैं और उस मामले में, यह तर्कसंगत है कि रूस अपने एशियाई पक्ष पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, हालांकि ऐतिहासिक रूप से, रूस ने हमेशा खुद को एक यूरोपीय शक्ति के रूप में देखा है ।

कनाडाई पीएम ने जो आरोप लगाए वे हमारी नीति के अनुरूप नहीं

भारत-कनाडा विवाद पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “हां, मैंने एनएसए जेक सुलिवन और (अमेरिकी विदेश मंत्री) एंटनी ब्लिंकन से कनाडा के बारे में बात की। उन्होंने इस पूरी स्थिति पर अमेरिकी विचार और आकलन साझा किए। मुझे उम्मीद है कि हम दोनों उन बैठकों से बेहतर हासिल करेंगे और आगे बढ़ेंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पहले निजी तौर पर और फिर सार्वजनिक रूप से कुछ आरोप लगाए। निजी और सार्वजनिक दोनों बातचीत में हमारी प्रतिक्रिया यह थी कि उनके आरोप भारत की नीति से मेल नहीं खाते हैं। अगर कोई प्रासंगिक और विशिष्ट बात है जिस पर वह भारत से गौर कराना चाहते हैं तो उसके के लिए सरकार तैयार है।



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