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अहिच्छत्र का किला
– फोटो : अमर उजाला
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रुहेलखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अव्यवस्था की दीवार पांचाल के वैभव को ढक रही है। पांचाल नरेश के अहिच्छत्र स्थित प्राचीन किले तक जाने के लिए पगडंडी से गुजरना पड़ता है। नाथ मंदिरों को जोड़ने के लिए कॉरिडोर के निर्माण की बात चल रही है, लेकिन इसके मूर्त रूप लेने में समय लगेगा। यहां का कण-कण महाभारत काल से जुड़ा है।
लीलौर झील भी अव्यवस्था की गाद से पटती जा रही है। अहिच्छत्र का जैन मंदिर धर्मावलंबियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। विश्व पर्यटन दिवस पर हम आपको रुहेलखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों से रूबरू करा रहे हैं।
आंवला के रामनगर क्षेत्र में अहिच्छत्र का किला मौजूद है। इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। प्राचीन काल में यह किला राजा द्रुपद की राजधानी रहा। पाणिनी रचित अष्टाध्यायी के टीकाकार पतंजलि ने भी अपने महाभाष्य में इसका जिक्र किया है। माना जाता है कि यहां राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी का स्वयंवर हुआ था।
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