बैंक प्रबंधक हत्याकांड का 12वां दिन:पत्नी हाॅस्पिटल से हो गई फरार, ससुर भी भूमिगत; अब दबिश का दावा – Bank Manager Murder Case Wife Absconds From Hospital Father-in-law Underground

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bank manager murder case Wife absconds from hospital father-in-law underground

बैंक प्रबंधक हत्याकांड
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


आगरा में  रामरघु एग्जॉटिका कॉलोनी में बैंक प्रबंधक सचिन उपाध्याय की हत्या के मामले में पुलिस ने हर पल लापरवाही की। पोस्टमार्टम के बाद भी हत्या का मुकदमा दर्ज करने में चार दिन लगा दिए। परिजन का आरोप है कि इससे आरोपियों को बचने का मौका मिला। पुलिस सिर्फ एक ही आरोपी की गिरफ्तारी कर सकी। मुख्य आरोपी पत्नी प्रियंका फरार हो गई है। ससुर भूमिगत हैं। हालांकि अब दबिश का दावा किया जा रहा है।

रामरघु एग्जॉटिका कॉलोनी निवासी बैंक प्रबंधक सचिन उपाध्याय की 11 अक्तूबर को गला घोंटकर हत्या की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उन्हें प्रताड़ित किया गया। 12 अक्तूबर की शाम को पांच बजे जब पुलिस आत्महत्या की सूचना पर पहुंची थी, तब मृतक के शरीर पर चोट और जलने के निशान साफ नजर आ रहे थे।

गले पर भी चोट दिख रही थी इसके बावजूद पुलिस ने कार्रवाई करने में तेजी नहीं दिखाई। मुकदमा दर्ज करने में 7 दिन लगा दिए। इससे पहले पत्नी प्रियंका उर्फ मोना की ओर से महिला थाना में मृतक के परिजन के खिलाफ ही दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके बावजूद ताजगंज पुलिस ने आरोपी प्रियंका की गिरफ्तारी नहीं की। डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि प्रियंका को नोटिस दिया गया है। वह सामने नहीं आ रही है। धरपकड़ के लिए पुलिस टीम लगी है। वह मुख्य आरोपी है। वहीं बृजेंद्र सिंह रावत से भी पूछताछ की जाएगी।

कब-कब की लापरवाही

– 11 अक्तूबर की रात को हत्या हुई। 12 अक्तूबर की शाम 5 बजे पुलिस को खुदकुशी की सूचना दी गई। मगर, पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण तत्काल नहीं किया।

– मृतक के शरीर पर चोटों के निशान साफ नजर आ रहे थे। मगर, पुलिस ने चोटों पर ध्यान नहीं दिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। प्रथम दृष्टया हत्या में मुकदमा दर्ज होना चाहिए था।

– 13 अक्तूबर को डाॅक्टर के पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया? एक घंटे बाद ही रिपोर्ट मिल गई। इसके बावजूद मृतक के घरवालों की ओर से तहरीर लेकर मुकदमा नहीं लिखा।

– 17 अक्तूबर को प्रियंका ने ससुरालियों के खिलाफ महिला थाना में मुकदमा दर्ज करा दिया। तहरीर में लिखा कि पति ने परिवार वालों से परेशान होकर खुदकुशी की है। मगर, पुलिस ने आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने की धारा मुकदमे में नहीं लगाई? ऐसा क्यों किया।

– मुकदमा लिखने के बाद विवेचक ने अस्पताल में भर्ती प्रियंका का बयान दर्ज किया। मगर, मृतक के परिजन और थाना ताजगंज पुलिस से कोई जानकारी नहीं ली?

– तहरीर में जब आत्महत्या का जिक्र किया गया था तो पुलिस को इस बारे में भी पड़ताल करनी चाहिए थी।

– 18 अक्तूबर को सचिन की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। मगर, पुलिस ने आरोपियों को हिरासत तक में नहीं लिया। इससे आरोपियों को बचने का मौका मिला।

– हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रियंका अस्पताल से बहाना करके निकल गर्ईं। उधर, कलेक्ट्रेट बार के अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह रावत भी भूमिगत हो गए हैं।

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