50 Years Of Bobby:चिंटू सा हीरो, फ्रॉक वाली हीरोइन, रूठी रूठी सी लता मंगेशकर और गाने इस कांग्रेसी नेता के – 50 Years Of Bobby Release 28 September 1973 Bioscope With Pankaj Shukla Rishi Kapoor Dimple Kapadia Raj Kapoor

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अपनी पहली हिंदी फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ के हीरो राज कपूर का कहना ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने कभी नहीं टाला। राज कपूर की मल्टीस्टारर फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ जब फ्लॉप हुई तो उन्होंने बिल्कुल नए चेहरों के साथ एक कम बजट की फिल्म ‘बॉबी’ बनाने का फैसला किया। घर के लड़के चिंटू को हीरो बनाया और एक नई लड़की डिंपल की हीरोइन। फिल्म के मुहूर्त पर पहुंची हेमा मालिनी को अब भी याद है कि कैसे एक चुलबुली सी किशोरी उन्हें फ्रॉक पहने फिल्म के मुहूर्त पर फुदकती दिखी थी। जब उन्हें बताया गया कि यही फिल्म की हीरोइन है तो वह बहुत खुश हुईं। कम लोगों को ही पता होगा कि हिंदी फिल्म जगत में हेमा मालिनी की सबसे करीबी दोस्त आज भी डिंपल ही हैं। इन्हीं डिंपल की पहली फिल्म ‘बॉबी’ की रिलीज को 50 साल पूरे हो रहे हैं। डिंपल ने फोन करने पर फिल्म के स्वर्ण जयंती वर्ष की बधाई तो ली लेकिन फिल्म के बारे में बात करने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि वह अब इंटरव्यू नहीं देती हैं।



एंग्री यंगमैन के दौर की मोहब्बत

फिल्म ‘बॉबी’ 28 सितंबर 1973 को रिलीज हुई। ये वो दौर था जब सलीम जावेद ने अमिताभ बच्चन के कंधे पर बंदूक रखकर अपने पुराने अजीज राजेश खन्ना के रूमानी शामियाने में फिल्म ‘जंजीर’ से छेद कर दिया था, लेकिन उसी साल रिलीज हुई फिल्म ‘बॉबी’ फिर से माहौल में रूमानियत का नया इंद्रधनुष ले आई। फिल्म ‘बॉबी’ की सफलता में इसके गानों का सबसे बड़ा हाथ रहा। और, फिल्म में ऋषि कपूर की आवाज बनकर लॉन्च हुआ एक नया पार्श्वगायक शैलेंद्र सिंह। पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में एक्टिंग की पढ़ाई करते करते वह फिल्म ‘बॉबी’ में ऋषि कपूर की आवाज कैसे बन गए? ये पूछो तो वह खुद भी हैरान होते हैं। शैलेंद्र सिंह फिल्म ‘बॉबी’ को याद करके चहकते नहीं है। उल्टे उनके चेहरे पर टीस उभर आती है। ये दर्द है उन घावों का, जो हिंदी सिनेमा की खेमेबाजी ने उन्हें दिए हैं। ये तो सब जानते ही है कि फिल्म ‘बॉबी’ में पहले राज कपूर के पसंदीदा संगीत निर्देशक शंकर-जयकिशन संगीत देने वाले थे। शैलेंद्र सिंह की बात करने से पहले एक किस्सा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का।


राज कपूर का संदेश लाए मुकेश

दरअसल, फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ फ्लॉप होने के बाद राज कपूर संगीतकार शंकर-जयकिशन के साथ काम नहीं करना चाह रहे थे। उन्होंने उन दिनों के सुपरहिट गायक मुकेश को संगीतकार लक्ष्मीकांत के पास भेजा और फिल्म ‘बॉबी’ में संगीत देने की पेशकश की। लक्ष्मीकांत की पत्नी जया कुडालकर बताती हैं, ‘उन दिनों मुकेश जी राज कपूर साहब के कहने पर फिल्म ‘बॉबी’ में संगीत देने की बात लक्ष्मीजी से करने आए। इत्तेफाक से उस समय प्यारेलाल जी थे नहीं तो लक्ष्मीजी ने फौरन हां नहीं कहा। वह बोले कि सोचकर बताते हैं। बाद में लक्ष्मी जी ने इस विषय में प्यारेलाल जी से बात की और यह तय हुआ कि राज कपूर की फिल्म ‘बॉबी’ में संगीत नहीं देंगे। वजह थी कि दोनों शंकर-जयकिशन का सम्मान बहुत करते थे।’ तब मुकेश ने ही दोनों को समझाया, ‘आप लोग नहीं करेंगे तो कोई और करेगा, इसलिए मैं चाहता हूं कि आप लोग ही करें।’ 


किस्सा लता मंगेशकर के रूठने का

फिर लक्ष्मीकांत ने फिल्म में काम करने की दो शर्त रखीं। एक, लता मंगेशकर फिल्म में गीत गाएंगी, दूसरी शर्त यह थी कि गानों की रिकॉर्डिंग वह अपनी पसंद की जगह पर करेंगे और आर के स्टूडियो नहीं जाएंगे। लता मंगेशकर का दरअसल फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान राज कपूर के साथ एक गाने के शब्दों को लेकर विवाद हो गया था। कहा ये भी जाता है कि ये विवाद गानों की रॉयल्टी को लेकर हुआ। और, लता मंगेशकर ने तब सिर्फ ‘मेरा नाम जोकर’ के बल्कि इसके बाद राज कपूर की किसी भी फिल्म के गाने के लिए इंकार कर दिया था। एक किंवदंती ये भी है कि राज कपूर ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को फिल्म ‘बॉबी’ में लिया ही इसलिए था क्योंकि दोनों लता मंगेशकर के काफी करीब थे और वही उन्हें फिर से आरके फिल्म्स में ला सकते थे। राज कपूर की दूरदर्शिता काम आई और लता मंगेशकर की फिल्म ‘बॉबी’ से राज कपूर की फिल्मों में वापसी हो गई।


शैलेंद्र सिंह ने इस गाने पर दिया ऑडिशन

फिल्म ‘बॉबी’ में शैलेंद्र सिंह को लॉन्च करने से पहले लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने उनका ऑडीशन लिया था। शैलेंद्र सिंह ने उन्हें राजेंद्र कृष्ण का लिखा और आर डी बर्मन का संगीतबद्ध किया फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ में किशोर कुमार का गाया गाना गाकर सुनाया, ‘देखा ना हाय रे सोचा ना हाय रे, रख दी निशाने पे जां….।’ राज कपूर ने आवाज सुनी तो तुरंत ओके कर दिया। शैलेंद्र सिंह और ऋषि कपूर की पहली मुलाकात फिल्म के गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान ही हुई। शैलेंद्र बताते हैं, ‘उस दिन हम ‘मैं शायर तो नहीं’ गाना रिकॉर्ड कर रहे थे और वहां एक गोरा चिट्टा सा लड़का खड़ा होकर मेरी रिकॉर्डिंग ध्यान से सुन रहा था। गाना खत्म हुआ। मैं बाहर निकला तो उसने हाथ आगे करते हुए कहा। मेरा नाम ऋषि कपूर है और मैं इस फिल्म का हीरो हूं।’ शैलेंद्र सिंह ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में एक्टिंग सीखने के साथ साथ ही संगीत सीखना शुरू कर दिया। वह राजश्री पिक्चर्स के दफ्तर गए थे किसी फिल्म में हीरो का चांस पाने की खातिर अपनी फोटो छोड़ने और वहां से उन्हें भेज दिया गया लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से मिलने।


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