Mp Election 2023:शिवराज की विदाई की अटकलों के बाद सीएम के दावेदारों की कतार, जानें 10 नेताओं में कौन दमदार – Mp Election 2023: After Speculation Of Shivraj’s Departure, Queue Of Cm Contenders, Know Which 10 Leaders Are

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भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसद और एक राष्ट्रीय महासचिव को चुनाव मैदान में उतार दिया है। ये चारों ही मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल हैं। अब भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे मुख्यमंत्री बनने की खुलकर इच्छा जता रहे हैं। इसके अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कथित तौर पर सीएम पद का दावेदार बताया जाता रहा है, लेकिन वे इन अटकलों को खारिज करते रहे हैं। 

बता दें, सीएम शिवराज के बयानों और केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सीएम फेस पर चुप्पी से अटकलों का बाजार गर्म है। भाजपा की सूची में बड़े नाम सामने आने के बाद ऐसी अटकलों को बल भी मिला है। अब ऐसे नेताओं के नाम सीएम की कुर्सी से जोड़े जाने लगे हैं। दावेदारों में अभी पार्टी के चार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सीएम शिवराज सिंह चौहान, मंत्री गोपाल भार्गव, सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम हमेशा चर्चा में रहते हैं। 

 



नरेंद्र सिंह तोमर 

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में प्रबल दावेदार हैं, लेकिन यह तब होगा जब वे मुरैना जिले की दिमनी सीट के साथ साथ आसपास की सीटों पर अपना असर दिखाएंगे। संघ और पार्टी में उनकी अच्छी पकड़ है। हालांकि, उनकी कमजोर कड़ी यह है कि ग्वालियर चंबल के बाहर उनका खास जनाधार नहीं है। साथ ही पार्टी ओबीसी और जातिगत समीकरणों को साधती है तो उनको दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। 

प्रह्लाद पटेल

नरसिंहपुर से प्रत्याशी प्रह्लाद सिंह पटेल सीएम शिवराज सिंह चौहान के बाद प्रदेश में ओबीसी के सबसे बड़े नेता हैं। साथ ही संगठन और संघ के साथ उनकी अच्छी ट्यूनिंग हैं। वरिष्ठ नेता उमा भारती का उन्हें आशीर्वाद भी प्राप्त है। यदि पार्टी ओबीसी चेहरे पर दांव लगाती है तो उनकी लॉटरी लग सकती है। हालांकि, प्रदेश की राजनीति में वे बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहे हैं। यह उनका नकारात्मक पक्ष हो सकता है। 

 


फग्गन सिंह कुलस्ते 

मंडला जिले के निवास से प्रत्याशी से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी नेता है। भाजपा आदिवासी वोटों पर फोकस कर रही है। पिछले दो सालों के पार्टी के कार्यक्रम को देखें तो सबसे ज्यादा आदिवासी महापुरुषों पर केंद्रित रहा है। ऐसे में पार्टी यहां आदिवासी कार्ड को भुनाने में लगी है। साथ ही फग्गन सिंह कुलस्ते के चेहरे पर दांव उसी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी की उम्मीदों पर कुलस्ते खरे उतरते हैं तो उनकी किस्मत पलट सकती है। इनकी कमजोरी यह है कि बयानों की वजह से विवादों में रहते हैं। वे संसद में नोटों से भरा बैग लेकर पहुंच गए थे। उस वक्त भी चर्चा में रहे थे। 

कैलाश विजयवर्गीय

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-1 से प्रत्याशी हैं और भाजपा के फायर ब्रांड नेता हैं। अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा की जड़ें मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। इसके साथ ही एमपी में पार्टी के नाराज वरिष्ठों को मनाने में उनका रोल रहा है। प्रदेश की राजनीति से दूर रहे कैलाश की वापसी विधानसभा प्रत्याशी के रूप में हुई है। संगठन के आला नेताओं के करीबी और भरोसेमंद हैं। अपने कद और भविष्य को लेकर अभी से कैलाश इशारा करने लगे हैं। ऐसे में उन्हें भी सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि, इनके बयानों की वजह से पार्टी कई बार असहज हो जाती है। पिछली बार उन्होंने अग्निवीरों को पार्टी ऑफिस में गार्ड की नौकरी देने की बात कह दी थी। इससे बड़ी फजीहत हुई थी। इसके साथ ही पेंशन घोटाले का जिन्न भी इनके पीछे है। 

 


शिवराज सिंह चौहान 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एमपी में करीब 19 साल से मुख्यमंत्री हैं। इनके चेहरे का तोड़ आज भी भाजपा के पास नहीं है। साथ ही सरल स्वभाव की वजह से उनकी अपनी अलग पहचान है। अब तक वे पार्टी के सर्वमान्य चेहरा रहे हैं, लेकिन कथित तौर पर पार्टी उनसे छुटकारा चाह रही है। इसके संकेत मिलने लगे हैं। शिवराज सिंह चौहान भी अब खुद ही लोगों से पूछ रहे हैं कि मैं अच्छी सरकार चला रहा हूं या बुरी? मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं? इनकी कमजोरी यह है कि लंबे समय से सरकार होने से सत्ता के खिलाफ माहौल है। ऐसे में पार्टी माहौल को बदलने में लगी है और उनके चेहरे को आगे नहीं कर रही है। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया 

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए। इस वजह से कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा ने सत्ता में वापसी की। सिंधिया कुछ ही दिनों में संगठन के करीब पहुंच गए। मोदी कैबिनेट में भी वे अच्छी पोजिशन पर हैं। उनकी देश में अलग पहचान है। हालांकि, उनकी कमजोरी यह है कि उनके आने के बाद भाजपा उनके इलाके में नगरीय निकाय चुनाव में महापौर की दो सीटें हार गईं। उनके शामिल होने के बाद भाजपा के पुराने नेताओं में असंतोष बढ़ा। इस वजह से उनकी छवि को भी बढ़ा झटका लगा है। 

 

 


वीडी शर्मा 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा खजुराहो से सांसद हैं। बेदाग और स्वच्छ छवि के शर्मा संघ के करीबी हैं। ब्राह्मण चेहरा हैं। युवाओं और कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं। हालांकि, पार्टी ने पिछले तीन मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से दिए हैं। पार्टी के जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने से शर्मा की दावेदारी कमजोर हो सकती है।

गोपाल भार्गव 

शिवराज सरकार में मंत्री गोपाल भार्गव पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे 2013 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। पिछले 15 साल से मंत्री के पद पर काबिज हैं। भार्गव की छवि बेदाग है। सागर में प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा कर दिया है। उन्होंने कहा कि गुरु आज्ञा हुई है कि एक चुनाव और लड़ना है। हालांकि, ब्राह्मण नेता होने के चलते पार्टी यदि जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधती है तो उनका दावा कमजोर पड़ सकता है। 

 


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